Betul के इस गांव में आज धूमधाम से अनोखे तरीके से मनाई जाएगी होली,जानिए क्या है इसके पीछे का कारण

Betul जिले के कुछ गांवों में अलग-अलग कारणों से होली और धुरेंडी मनाने की अलग-अलग परंपराओं का निर्वहन आज भी किया जा रहा है। मुलताई तहसील के डहुआ गांव में धुरेंडी नहीं मनाई जाती जबकि घोड़ाडोंगरी के बरेलीपार गांव में एक दिन पहले ही त्यौहार मना लिए जाते हैं। शाहपुर के गांव रायपुर में एक दिन बाद धुरेंडी मनाई जाती है।
मुलताई तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम डहुआ में 128 साल पहले होली के दिन गांव के प्रधान की बावड़ी में डूबने से आकस्मिक मौत हो गई थी। गांव के लोगों ने दुख की इस घड़ी में रंगों के त्यौहार को नहीं मनाने का फैसला लिया। सभी की सहमति से हर साल होली के दिन दिवंगत ग्राम प्रधान को सच्ची श्रद्धांजलि देते हुए रंग-गुलाल नहीं उड़ाया जाता है।
ग्राम के बलराम बारंगे, धनलाल बिंझाड़े ने बताया कि 21 वीं सदी में भी गांव के युवा बुजुर्गों के निर्णय का पालन कर रहे हैं यह बड़ी मिसाल है। गांव में इस बार भी शुक्रवार को रंगों का त्यौहार नहीं मनाया जाएगा। कुछ सालों से रंग पंचमी का त्यौहार आम सहमति से जरूर मनाया जाने लगा है। मुलताई से अक्षय सोनी ने बताया कि वर्षों पूर्व होली के ही दिन गांव के प्रधान की बावड़ी में डूबने से हुई मौत के बाद से ही गांव के प्रमुख लोगों ने दिवंगत प्रधान को सच्ची श्रद्धांजलि देने के लिए दोबारा कभी होली ना मनाने का निर्णय लिया जो आज तक जारी है। बुजुर्गों के द्वारा लिया गया फैसला एक धार्मिक मान्यता जैसा बन चुका है जिसे नई पीढ़ी के द्वारा भी बदलने के बजाय उसका अनुसरण करना बेहद गौरव की बात है।
इस गांव में एक दिन पहले मनाते हैं हर त्यौहारः
बैतूल जिले की घोड़ाडोंगरी तहसील के ग्राम बरेलीपार में ग्रामीण कोई भी त्यौहार निश्चित तिथि पर नहीं मनाते हैं। गांव में होली-दीवाली या कोई भी त्यौहार एक दिन पहले ही मना लिया जाता है। घोड़ाडोंगरी से विनोद पतारिया ने बताया कि आदिवासी बाहुल्य गांव में पिछले कई वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है। गांव के बुजुर्गों के अनुसार नियत तिथि पर कोई भी त्यौहार मनाया जाता है तो कोई न कोई अनहोनी हो जाती थी। इसे देखते हुए इसके चलते कई वर्षों तक तो यहां कोई भी त्यौहार मनाया ही नहीं जाता था। कुछ साल पहले नई पीढ़ी ने हर त्यौहार एक दिन पहले ही मनाना शुरू किया। तब से कोई अनहोनी नहीं हुई और अब यह परंपरा बन गई है।
Betul के रायपुर गांव में एक दिन बाद मनाई जाती है होली-धुरेड़ी :
शाहपुर ब्लाक मुख्यालय से सटे ग्राम रायपुर में 18 मार्च शुक्रवार को रंग गुलाल नहीं उड़ेगा बल्कि होलिका दहन होगा। दूसरे दिन शनिवार को यहां धुरेंडी मनाई जाएगी। रायपुर गांव में होली एक दिन बाद मनाने को लेकर कई कारण बताए जाते हैं। तय तिथि पर होली मनाने से गांव में अप्रिय घटना घटती है ।
इस कारण वर्षों से यही परंपरा चल रही है और लोग इसका पालन कर रहे हैं। रायपुर निवासी 80 वर्षीय छोटेलाल मर्शकोले ने बताया कि जन्म से अब तक हम लोग होली एक दिन बाद मनाते हैं। कहा कि मेरे दादा भी यही बताते थे कि सैकड़ों वर्ष पहले से यही परंपरा चल रही है। सूर्यकांत मर्शकोले ने बताया कि दूज के दिन यहां एक दिन का फागुन मेला भी लगता है जो देर रात तक चलता है इस मेले में फाग गीत , मेघनाथ की पूजा अर्चना की जाती है ।