
Bank में अब लगभग हर परिवार का खाता (Bank Account) है। अमूमन लोगों को बैंक से काम पड़ता ही रहता है। यदि आपको भी बैंक का काम है तो आज, कल और परसों तक निबटा लें। नहीं तो फिर आपको चार दिनों तक बैंक के कर्मचारी दिखेंगे नहीं।
दरअसल, आगामी शनिवार और रविवार को बैंक में अवकाश (Weekly Closing Day) है। इसके बाद अलगे सोमवार और मंगलवार को बैंक कर्मचारी हड़ताल (Bank Strike) पर जा रहे हैं। ये लोग केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में हड़ताल में जा रहे हैं।
किन्होंने किया है हड़ताल का आह्वान-
यह हड़ताल मूलत: मजदूरों की है। इसका देश के 10 से भी ज्यादा ट्रेड यूनियन का समर्थन है। इनमें संगठित और असंगठित क्षेत्र के कामगारों शामिल है। इन्होंने आगामी 28 एवं 29 मार्च को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है। इनका कहना है कि देश की संपदाओं की बिक्री हो रही है। सरकार मजदूर विरोधी नीति अपना रही है।
इन्होंने आंगनबाड़ी कामगारों, आशा कार्यकर्ता, मिड डे मील स्कीम के रसोइया और अन्य योजना कर्मियों को न्यूनतम मजदूरी 26 हजार रुपये तथा सामाजिक सुरक्षा देने की मांग की है। इसके साथ ही सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग कर रहे हैं। , निजीकरण पर रोक लगाने सहित अन्य मांगों को लेकर सीटू सहित 11 ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर 28 – 29 मार्च को हड़ताल का आह्वान किया गया है।
बैंककर्मी भी आए साथ-
मजदूरों की हड़ताल में बैंककर्मी भी साथ दे रहे हैं। बैंक के सबसे बड़े यूनियन ऑल इंडिया बैंक इम्पलाईज एसोसिएशन (AIBEA) ने इस बारे में प्रबंधन को चिट्ठी भेज दी है। इसके अलावा बैंक इम्पलाईज फेडरेशन ऑफ इंडिया (BEFI) ने भी इसका समर्थन किया है। ये यूनियन बैंक के सभी कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। बैंक के अधिकारियों का प्रतिनिधत्व करने वाला यूनियन ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन (AIBOA) ने भी हड़ताल का समर्थन किया है। इसलिए बैंक में लगातार चार दिनों तक काम नहीं होना तय है।
ग्रामीण बैंक भी रहेंगे बंद-
कभी कभी सरकारी बैंक तो बंद रहते हैं, लेकिन ग्रामीण बैंक चालू रहते हैं। इस बार ग्रामीण बैंकों ने भी हड़ताल में शामिल होने की सहमति दी है। ऑल इंडिया रिजनल रूरल बैंक इम्पलाईज एसोसिएशन (AIRRBEA) के प्रवक्ता शिवकरण द्विवेदी ने बताया कि उनकी तरफ से भी हड़ताल की नोटिस केंद्र सरकार को पिछले महीने ही भेज दी गई है।
उनका कहना है कि सरकार ग्रामीण बैंकों से भी पीछा छुड़ाना चाहती है। इसलिए तो इसमें केंद्र सरकार की हिस्सेदारी 50 फीसदी से कम करना चाहती है। अभी ग्रामीण बैंकों में केंद्र सरकार की 50 फीसदी की हिस्सेदारी है। इसके अलावा इसमें राज्य सरकार की 15 फीसदी जबकि संबंधित सरकारी बैंक की 35 फीसदी पूंजी लगी हुई है।
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एटीएम भी हो सकते हैं खाली-
बैंक के अधिकारियों का कहना है जब लगातार चार दिनों तक बैंक में काम नहीं होगा तो बैंक के एटीएम भी खाली हो सकते हैं। उनका कहना है कि महानगरों एवं बड़े शहरों में, जहां थर्ड पार्टी कैश भरते हैं, वहां तो दिक्कत नहीं होगी। लेकिन जिन एटीएम में कैश भरने का काम बैंक के स्टाफ करते हैं, वहां कैश खत्म हो सकता है।